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खत माँ के नाम

Hindi Short Story

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स्वरचित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता - Dec, 2022
Result   Details
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खत माँ के नाम
Writer: गौरव शर्मा, लाड़पुरा बाजार, कोटा, राजस्थान


# खत माँ के नाम

Writer: गौरव शर्मा, लाड़पुरा बाजार, कोटा, राजस्थान

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मेरी प्यारी मम्मा,
आज पहली बार खत लिख रहा हूँ आपको मम्मा। जानता हूँ बहुत देर हो चुकी है और उसके लिए माफी भी चाहता हुँ। जानता हूँ मेरी मम्मा इस बार भी अपने बेटे को माफ कर देंगी। पूरे दो साल होने को आए है आपको गए। आपके जाने के बाद लगा जिन्दगी ठहर सी गई थी, लेकिन इसने फिर अपनी रफ्तार पकड़ी और धीरे-धीरे दिन, हफ्तों से होते हुए महीनें और फिर सालों में बदल गए। उस एक बीमारी ने आपको कितना तोड़ दिया था ना। जिन्दगी के हर मोड़ पर आप परिस्थितियों से डट कर लड़ी थी और उस वक्त भी आपने हार नहीं मानी थी। आप अंत तक लड़ी पर उस ऊपर वाले को शायद कुछ और ही मंजूर था। आपके जाने के बाद मैं बुरी तरह टूट चुका था, लगा था कुछ बाकी नहीं रहा, लेकिन जिन्दगी फिर से चलने लगी। एक नई शरूआत हुई मेरे व्यक्तित्व की, जो आपकी अनुपस्थिति में थी। लगा पहले तो शायद कुछ बंधन थे, लेकिन अब तो आप हर क्षण मेरे साथ हो। मेरा सुरक्षा कवच बनकर। पहले तो लगा आप कुछ जल्दी ही हमारा साथ छोड़ गई, लेकिन अब लगता है शायद अच्छा ही हुआ क्योंकि आज अगर आप साथ होती तो शायद घर की परिस्थितियाँ देखकर हर क्षण तिल-तिल कर मरती।

इन दो सालों में बहुत कुछ बदल गया मम्मा। आप जो रिश्ते छोड़कर गए थे। मैं उन्हें नहीं संभाल पाया। हर रिश्ता हाथ से रेत की तरह धीरे-धीरे छटा जा रहा है। मैनें बचपन से देखा है आपने रिश्तों को किस तरह सींचा था। हमें भी आपने ही बताया था कि रिश्ते जीवन की कितनी बड़ी पूँजी हैं। पर मुझे माफ कर देना मम्मा। मैं इन्हें चाहकर भी नहीं बचा पा रहा हूँ। आपके कितने सपनें सच करना चाहता था मैं पर कुछ नहीं कर पाया। कमा तो रहा ही था मैं, पर मेरी मम्मा के लिए एक साड़ी भी कभी ला नहीं पाया। जब कोई किसी तीर्थ पर जाता था तो आप मजाक मैं ही कहती थी, 'मैं तो तेरी कमाई से तीर्थ करके आऊँगी।' आप शायद मजाक करती थी पर मैं इस बारे में हमेशा गंभीर था। चाहता था आपको और पापा को सारे तीर्थ जरूर करवाऊँगा। आप की हर ख्वाहिश जो आप घर की जिम्मेदारियों के चलते मन में कहीं दबा जाती थी, वो मैं पूरी करना चाहता था। आपके गिरवी रखें जेवर छुड़ा के आपकों फिर से घर की लक्ष्मी बनाना चाहता था। आपको किताबों से कितना लगाव था मम्मा, जानता हू मैं। मुझमें भी ये अच्छी आदत आप ही के कारण आ पाई। आपकी पसंदीदा किताबों की एक छोटी-सी लाइब्रेरी बनवाना चाहता था मैं, घर के किसी कोने में। पर आपके रहते मैं ऐसा कुछ नहीं कर पाया।

आपके सपने कहीं ना कहीं मेरे कारण भी अधूरे रह गए मम्मा, और इसके लिए मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा। लगता है हर बार की तरह शायद मैनें ही देर कर दी। आपको जानकर खुशी होगी कि आपका बेटा बहुत कुछ करना सीख गया हैं। आपके सामने कभी खाना नहीं बनाया था लेकिन अब बना लेता हूँ। आप नहीं जानते उस दिन मुझे कितनी संतुष्टि मिली थी जब मेरे हाथ की रोटी खाते हुए पापा बोल पड़े थे, 'बिलकुल तेरी मम्मी जैसी रोटी बनाई है तूने।'मैं हमेशा आप ही की तरह तो बनना चाहता था। पर आप जैसा होना नामुमकिन-सा हैं। आपसे जुड़ी हर बात बहुत याद आती है। आपके हाथ की बनी टमाटर की मीठी चटनी, शक्कर के पराठे, आटे का हलुवा और वो शानदार वाली चाय मैं हमेशा मिस करता हैं। कई बार कोशिश की वैसा बनाने की पर नहीं बना पाया। मसालें या सामग्री तो फिर भी नपी-तुली सी डाल ही देता हुँ, पर आपके हाथ का 'माँ-वाला स्वाद' लाना कहाँ मुमकिन है!!

आपको कभी जाहिर तौर पर बताया तो नहीं पर मुझे पता है आप जानती थी मेरे लिखने के शौक के बारे में। एक बार आप पर लिखी कविता जब अखबार में प्रकाशित हुई थी तो मेरी इतनी छोटी-सी उपलब्धि पर कितना खुश हुई थी आप। इसके बाद भी आप पर मैनें कई कविताएं, गीत लिखे। लेकिन चाहकर भी कभी बता या सुना नहीं पाया आपको। अगर सुना पाता तो कितना खुश होती आप, आज ये सोचकर आँखें गीली हो जाती हैं। खुद के फोटो खींचने का कभी शौक नहीं रहा मुझे पर आज खुद की इस कमी पर गुस्सा आता हैं। क्योंकि आप के साथ मेरा एक भी फोटो नहीं हैं। आप के जाने के बाद पापा बहुत अकेले हो गए हैं। चाहता हुँ उनकी कुछ जिम्मेदारियां अपने कंधों पर ले लूँ पर ये भी नहीं कर पा रहा हूँ। आपने जीवनभर केवल दिया ही मम्मा। कैंसर की बीमारी के दौरान डॉक्टर्स ने जब बताया कि बोन मेरो मैच होने पर भैया या मैं आपकी जान बचा सकते हैं तो बहुत खुश हुए थे हम दोनों। उम्मीद की एक किरण नजर आई थी। लेकिन उस दफा भी हमसे कुछ लेने से पहले ही आप हमें छोड़कर चली गई। और भी बहुत-सी बातें हैं जो मैं आपसे आपके सामने कहना चाहता था। पर नहीं कर पाया और इसका दुख मुझे ता-उम्र रहेगा। आपकी कमी मेरे जीवन में हमेशा रहेगी। इस दुनिया से जाने के बाद मनुष्य ना जाने कहाँ जाता है पर आप जहाँ कहीं भी हो, कोशिश करूँगा अपने कामों से आपको गौरवान्वित महसूस कराऊँ। आपसे जुड़े हर सपने, हर जिम्मेदारी को पूरा करने की कोशिश जारी हैं मम्मा और मैं जानता हुँ मैं ये जरूर कर पाऊँगा। क्योंकि आप और आपका आर्शीवाद हमेशा मेरे साथ है। मैं आपको हर पल खुद में महसूस करता हूँ मम्मा और चाहता हूँ हर जन्म में आप ही मेरी माँ बने।
आपका ही
'अंश'
( End )


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