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एक भेड़ चरानेवाले की कथा

Hindi Story

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स्वरचित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता - Dec, 2022
Result   Details
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एक भेड़ चरानेवाले की कथा

Writer: H.P.Sarkar, Dhaleswar-13, Agartala, Tripura (W)

✿ दूर एक गाँव में एक भेड़ चरानेवाला था। उसके पास बहुत सारे भेड़ थे। इन भेड़ों को ले कर वह रोज़ सुबह जंगल जाता था और शाम को लौट आता था। मगर उसका भेड़ इधर-उधर भाग जाता था। चरानेवाला बहुत मुश्किल से भेड़ोंको संभालता था।

एक दिन उसके मन में एक बात आई और् वह सोचने लगा, मैं इन गिने-चुने भेड़ों से इतना परेशान हो जाता हूं और जो भगवान हम लोगों को संभाल रहे हैं, न जाने उनको कितनी तकलीफ होती होगी। वह मन ही मन सोचा, मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा जिसके लिए मेरे भगवान को मेरे लिए कुछ तकलीफ उठाना पड़े, उन्हें मेरे लिए कुछ मेहनत करना पड़े। और वह ऐसा ही करने लगा। धीरे धीरे उसके स्वभाव में, व्यवहार में और जिंदगी में बहुत परिवर्तन आने लगा। अब वह बहुत शांत और खुश रहने लगा। वह वन में जाके एक पेड़ के नीचे बैठ के दिल खोलके गाना गाता था। अब उसके भेड़ खो नहीं जाते थे। वे गाने की आवाज़ को ध्यान में राखकर खुद ही रास्ता निकल लेते थे।

फिर एक दिन उस भेड़ चरानेवाले ने सोचा, हे भगवान काश मैं हर रोज थोड़ी देर आपकी गोद में सर राखके सो पाता ! अब जब भी वह सोता ये सोचके सोता कि वह भगवान की गोद में ही सो रहा है। कुछ दिन के बाद उसके मन में और एक ख़याल आया। वह मन ही मन प्रार्थना किया , हे प्रभु आप कभी मेरे घर विश्राम करने आइए, मेरी यह इच्छा है कि मैं थोड़ी देर आपके पैड़ दबाऊँ। मुझे बहुत खुशी होगी।

वह ऐसी ही बातें सोचता था और ऐसा ही गाना गाता था। दिन गुज़रने लगा। एक दिन उसी जंगल से एक संत अपने शिष्यों के साथ जा रहे थे। जंगल में इतना सुंदर गाना सुनके सब चौंक गए। उस गानेका सुर जितना सुंदर था उतने ही सुंदर उसके शब्द थे। हर शब्द में ईश्वर का गुण-गान था।

संत उस गानेवाले से मिलना चहा तो उनके शिष्य भागके गए और उस भेड़ चरानेवाले को साथ लेकर आए। संत ने उससे कहा “ सिर्फ गाना गा-गा के ईश्वर मिलते हैं क्या? नहीं मिलते। ईश्वर को पाने के लिए सही नियम से तप करना परता है। कठोर तप करना परता है। ” फिर वे तप और ध्यान की बिधि बताने लगे। बीच में अचानक वो भेड़ चरानेवाला संत को रोक दिया। उसने कहा “ आप तो संत हैं। ज्ञानी हैं। मैं एक साधारन भेड़ चरानेवाला। मेरे पास कुछ भेड़-बकरी हैं। उनको संभालते संभालते ही मैं हैरान हो जाता हूं। आपने कभी सोचा के आप और मेरे जैसे हजारों भेड़-बकरी को संभालने के लिए ईश्वर को कितनी तकलीफ होती होगी? आपने कभी उनकी तकलीफ कम करने की कोशिश की? उनको थोड़ा आराम मिले ऐसा कुछ किया?”

संत जैसे आसमान से गिरा। बाकी लोग भी अचंभीत रह गए। संत सोच ही नहीं पा रहे हैं कि उनको यहां, इस हालत में, ऐसी बातें सुननी पड़ेगी। जैसे उनकी आँखें खुल गईं। उनको एक नया और महत्त्वपूर्ण सीख मिली। क्योंकि सही में उन्होंने कभी ऐसा कुछ सोचा भी नहीं और ऐसा कुछ किया भी नहीं। वे तुरंत ही उस भेड़ चरानेवाले से क्षमा माँग ली और अपने शिष्योंके साथ वहाँ बैठकर बहुत देर तक उससे भगवान की कथा सुनते रहे।
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