Home   |   About   |   Terms   |   Contact    
A platform for writers

मेरे पापा का सपना

Hindi Short Story

------ Notice Board ----
स्वरचित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता - Dec, 2022
Result   Details
--------------------------


All Hindi Stories    58    59    60    61    ( 62 )     63   

मेरे पापा का सपना
Writer: मधु ठाकुर, बीना, सागर, मध्य प्रदेश


## मेरे पापा का सपना

Writer: मधु ठाकुर, बीना, सागर, मध्य प्रदेश

मैं आज बहुत खुश थी। ख़ुश क्यों न होती? आज मेरा कॉलेज का पहला दिन जो था। मैं अपनी सहेलियों के साथ हँसी-ठिठोले करते हुए घर लौटती हूँ और जोर से माँ को आवाज़ देती हूँ, "माँ आज मेरा कॉलेज का पहला दिन बहुत अच्छा गया। पता है माँ आज मैंने बहुत कुछ नया सीखा और मस्ती भी की।"

माँ की आवाज़ न सुनकर मैं बोलती हूँ, "क्या हुआ? माँ, आप कुछ बोल क्यों नहीं रही हो? मुझे कॉलेज भेजते समय तो आप काफ़ी खुश थी," ये बोलते हुए मैं दौड़कर रसोई में जाती हूँ। माँ मेरे लिये मेरी पसंदीदा कचौड़ी बना रही होती हैं। "क्या हुआ? माँ, मैं आपको कितनी देर से आवाज़ दे रही हूँ और आप हो कि सुन नहीं रही हो।" तभी पीछे से कंधे पर किसी का हाथ जोर से पड़ा और दादी की कर्कश ध्वनि कानों में पड़ी, "क्यों री! सिया, अब कितना पढ़ेगी? कलेक्ट्राइन बनना है क्या? अरे! ससुराल जाकर तो रोटियाँ ही बनानी हैं।

तभी माँ बोल पड़ती हैं, "माँ जी..."

"तू तो चुप ही रह, ये सब तेरे कारण ही हुआ है जो तेरी ये बेटियाँ सर चढ़कर बोलती हैं। नीता को भी तूने बाहरवीं तक पढ़ाया और अब देख, ससुराल जाकर तो घास ही काट रही है।"

माँ दादी से डरती थीं इसलिए वह माँ जी कहकर चुप रह गईं। बोलती भी तो क्या कहतीं? दादी तो चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थीं, "अरे! मुझे तो पता भी नहीं था, वो तो अपनी गली का श्यामलाल अपने घर गया था तो वहाँ मुझसे भी मिलने पहुंचा। उसने बताया कि शीला भाभी सिया बिटिया को कॉलेज भेजने वाली हैं, कल ही उसका बाहरवीं का रिजल्ट आया है। श्यामलाल न बताता तो मुझे तो पता ही नहीं चलता। अब कल से तू कॉलेज नहीं जायेगी, घर पर रहकर माँ का काम में हाथ बटायेगी। यदि कल से कॉलेज गई न, तो मैं तेरी टाँगें काट दूंगी समझी!"

दादी को पान खाना बहुत पसंद था। वह मुझे डाँट डपटकर कहती हैं, "ले १०रू ले, और अपनी गली में से पान लेकर आ।"

दादी की बातें सुनकर मुझे बहुत रोना आ रहा था पर रो नहीं पा रही थी। मैं चलते-चलते पान वाले चाचा की दुकान पर पहुंची और वहाँ जाकर खड़ी हो गई। पान वाले चाचा मुझसे बार-बार कह रहे थे, "क्या चाहिए बिटिया?" उन्होंने मुझे कितनी बार आवाज़ दी पर मेरे कानों में अभी भी दादी की कर्कश ध्वनि ही सुनाई पड़ रही थी। अबकी बार चाचा की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी और मैंने उनसे पान खरीदा। पान वाले चाचा बोले, "क्या हुआ सिया बिटिया? इतनी हँसी-मज़ाक करने वाली आज इतनी चुप क्यों है?" मैंने दादी को आते देखा था। "क्या? उन्होंने ही तुझे डाँटा है?"

मैंने अपना मन रखते हुए कहा, "नहीं चाचा जी दादी ने मुझे नहीं डाँटा।"

मैं दुकान से निकली तभी पीछे से किसी ने आवाज़ दी, "सिया बिटिया, तुम्हारे पापा का पत्र आया है।"

मैं पीछे मुड़ी पोस्टमैन अंकल मेरे पीछे पत्र लिये खड़े थे। मैंने झट से उनके हाथों से पत्र लिया, मेरी आँखों से झर-झर आँसू बहने लगे। पत्र मेरे आँसूओं से पूरा भीग गया, भीग जाने के कारण उसके कुछ शब्द समझ नहीं आ रहे थे, पर पापा का चेहरा उसमें साफ़ दिखाई पड़ रहा था। मैं पत्र पढ़ना शुरू करती हूँ ...
"प्यारी बिटिया,
कैसी हो तुम? तुम्हारी माँ का पत्र मिला मुझे। तुम्हारी माँ बता रही थीं कि सिया कॉलेज में दाखिला लेने वाली है। मुझे ये सुनकर काफ़ी ख़ुशी हुई, बेटा। खूब अच्छे से पढ़ना और अपने सारे सपनों को पूरा करना। तुम्हें शायद याद नहीं होगा पर आज तुम्हें तुम्हारे सपनों से वाक़िफ़ कराना ज़रूरी है। सिया जब तुम ६ साल की थीं तब हम सब दिल्ली घूमने गये थे और वहाँ मेरा एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था और तुम तीनों बहुत घबरा गई थीं। उस दिन जिस व्यक्ति ने हमारी मदद की थी वो आईपीएस ऑफिसर थे और तुम उनसे काफ़ी ख़ुश हुई थीं कि उन्होंने हमारी इस अजनबी शहर में मदद की। उस वक़्त तुम मुझसे ज़िद कर रही थीं कि पापा मुझे भी इन अंकल की तरह आईपीएस ऑफिसर बनना है और लोगों की मदद करना है। तब मैंने तुम से बोला था कि आईपीएस अफसर बनकर ही मदद नहीं की जाती, एक साधारण इंसान भी लोगों की मदद कर सकता है। पर तुम मानने को तैयार ही नहीं थी। तुमने तो सिर्फ एक ही जिद पकरकर रखी थी कि मुझे तो आईपीएस ऑफिसर ही बनना है और हमने तुम्हारी इस ज़िद पर पुलिस की वर्दी में फोटो भी खिंचवायी थी। वह फोटो मैंने लिफ़ाफ़े में रखी है। तुम उसमें बहुत क्यूट लग रही हो।"

मैं झट से फोटो को लिफ़ाफ़े में से निकालती हूँ। फिर पापा लिखते है...
"उस दिन तुम्हारा देखा हुआ सपना मेरा भी सपना बन गया था। बेटा उस दिन मैंने ठान लिया था कि मैं तुम्हारे इस आईपीएस ऑफिसर बनने के सपने को ज़रूर पूरा करूँगा। पर बेटा सॉरी, मैं तुम्हारी उधर आकर मदद नहीं कर सकता तुम तो जानती ही हो हम सैनिकों के लिए हमारा देश ही हमारा परिवार होता है। हमारे लिए न देश के आगे कोई होता है न पीछे। मुझे पता है कि माँ को तुम्हारे कॉलेज जाने की बात पता चलेगी तो वो तुम्हें और तुम्हारी माँ को बहुत खरी-खोटी सुनायेंगी। पर मुझे ये भी पता है कि तुम और तुम्हारी माँ बहुत बहादुर हो, तुम दोनों दादी के तानों से नहीं डरोगी, मुझे तुम दोनों पर पूरा विश्वास है। बेटा तुम हार नहीं मानना। आज मैंने तुम्हारे आईपीएस ऑफिसर बनने के सपने को फिर से जिंदा कर दिया है। अब तुम्हें इसे पूरा करना है। करोगी न बेटा? ये सिर्फ तुम्हारा सपना नहीं है, ये मेरा भी सपना है कि तुम आईपीएस ऑफिसर बनो। ठीक है बेटा... अपना और अपनी माँ का ख़्याल रखना।
तुम्हारे पापा
शेखर"

मैं पापा के पत्र को पढ़कर माँ के पास भागी। माँ के सामने हाँपते-हाँपते पहुंची और जोर से माँ को गले लगा लिया। मुझे इतना खुश देखकर माँ बोलती हैं, "क्या हुआ? अभी कुछ देर पहले तो इतना बुरा मुँह करके बाहर निकली थी। और अब ख़ुशी के कारण फुले नहीं समा रही है।" तब मैं माँ के इस सवाल पर उन्हें पापा का पत्र दिखाई। माँ उस पत्र को पढ़कर खुश होती हैं, पर थोड़ी देर में सोच में पड़ जाती हैं। मैं उनसे पूछती हूँ, "क्या हुआ माँ? आप खुश नहीं हो पापा के इस पत्र को पढ़कर?

माँ कहती हैं, "तुम्हारी दादी तुम्हारे सपने को पूरा होने देंगी क्या?"

"माँ आपने ही तो कहा था कि अपने आप पर विश्वास रखो तो हमारे सारे सपने ख़ुद-ब-ख़ुद पूरे होते हैं और अब आप ही ऐसी बातें कर रही हो?"

"नहीं ऐसा नहीं है। जिस प्रकार तुम्हारे पापा को तुम पर विश्वास है उसी प्रकार मुझे भी तुम पर विश्वास है कि तुम हार नहीं मानोगी बेटा।"

उस दिन मैं अपने सपने के बारे में जानकर बहुत खुश थी पर कहीं न कहीं थोड़ा बहुत डर भी था कि दादी की रूढ़िवादी सोच को बदल पाऊँगी क्या? दादी अब गाँव नहीं जातीं और मुझे कॉलेज भी नहीं जाने देतीं जबकि पापा पीछोले महीने जब घर आये थे तो दादी से कहकर गये थे कि मुझे कॉलेज जाने दें। दादी ने तब तो पापा से हाँ कह दी, पर अब मुझे घर के किसी-न किसी काम में उलझाये रखती हैं। हाँ, जब दादी इधर-उधर होती हैं तब माँ मुझे चुपके से कॉलेज भेज देती हैं और मेरे हिस्से का काम भी कर देती हैं। कभी-कभार तो दादी मुझे कमरे में बंद कर देती हैं। पर मेरी ज़िद उनकी रूढ़िवादी सोच से काफ़ी बड़ी है। उनको पता ही नहीं कि जितनी देर वह मुझे कमरे में बंद रखती हैं उतनी देर में मैं कितना पढ़ लेती हूँ। दादी मुझे दिन में कॉलेज नहीं जाने देती तो क्या हुआ? मैंने रात को कॉलेज जाना शुरू कर दिया। रात को हमारी कॉलेज में घरेलू कामकाज वाली औरतें पढ़ती हैं और यह पहल मेरी माँ ने ही शुरू करवायी। उनका मानना है कि किसी भी औरत को किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। जिस प्रकार माँ को हम दोनों बेटियों पर गर्व है, उसी प्रकार मुझे भी माँ पर बहुत गर्व है कि उन्होंने इतनी अच्छी पहल शुरू की।

दादी को इस बात की बिल्कुल खबर नहीं है कि माँ ने औरतों के लिए रात को कॉलेज जाने का प्रबंध किया है, तभी तो मैं रात को कॉलेज जा पाती हूँ। ऐसे ही दादी से छुपते-छुपाते मैंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ली। अब मुझे यूपीएससी का एग्जाम देकर अपना और पापा का सपना पूरा करना है। आज मेरा यूपीएससी का पहला एग्जाम था। मैंने माँ का आशीर्वाद लिया और दादी से ये बोला कि मैं नीता दीदी के घर जा रही हूँ। मैंने दीदी से भी बोल दिया था कि वो दादी से यही बोलें कि मैं उनके घर आयी हूँ।

दादी को मेरे सपने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वह मेरी कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने की खबर सुनते ही मेरी शादी के लिए लड़का ढूँढने लगी हैं। यदि उन्हें इस बात की खबर लगी तो वह मुझे एग्जाम नहीं देने देंगी। जैसे ही मैंने घर के बाहर क़दम रखा तो बाहर पोस्टमैन अंकल खड़े थे। मैं उन्हें देखकर खुश हो गई। बोली, "अंकल आप! आप पापा का पत्र लेकर आये हैं?"

अंकल कुछ नहीं बोलते और मेरे हाथों में पापा का पत्र थमा देते हैं। उनकी इस ख़ामोशी को देखकर मैं ही बोल पड़ती हूँ, "क्या हुआ अंकल? आप इतने चुप क्यों हो?"

मेरे इस सवाल का अंकल ने जो जवाब दिया उसने मेरी सारी खुशियों को मातम में बदल दिया। उन्होंने कहा कि तुम्हारे पापा युद्ध के दौरान लोगों की जान बचाते-बचाते शहीद हो गये और ये पत्र उन्होंने युद्ध में जाने से पहले लिखा था। मेरा गला रूंध गया। मेरी आँखों से आँसू रूक नहीं रहे थे। मैंने पापा का पत्र लिफ़ाफ़े में से निकाला उसमें लिखा था...
"बेटा, तुम हार मत मानना, तुम मेरी बहादुर बेटी हो न।"

मेरे रोने की आवाज़ सुनकर माँ और दादी दौड़कर आती हैं। माँ पापा के शहीद होने के खबर सुनकर और पापा का मुझे भेजा पत्र पढ़कर खुद को दिलासा देती हैं और मेरे कंधे पर हाथ रखकर बोलती हैं, "जा बेटा तेरा एग्जाम है न, अपने पापा के सपने को पूरा नहीं करेगी?" ये सुनकर दादी रोते हुए बोलती हैं कि जा बेटा जा! आज तेरी असली परीक्षा है।

मैं अपने आँसूओं को पोंछकर खुद को दिलासा देते हुए एग्जाम देने जाती हूँ। मैं एग्जाम देने के लिए एग्जाम हॉल में बैठती हूँ। तभी पापा की याद में एग्जाम के बीच में ही मेरे आँसू आ जाते हैं। उस समय सारे परीक्षक और परीक्षार्थी मेरी ओर ही देख रहे होते हैं। एग्जाम होने के बाद सब लोग मुझसे यही पूछते हैं कि क्या हुआ? तुम रो क्यों रही थीं? तब मैं पापा के शहीद होने की बात उन्हें बताती हूँ तो सभी मुझे सैल्यूट करने लगते हैं। और कहते हैं कि तुम्हारे जैसी बेटी भगवान सबको दे।

मेरे एग्जाम के बाद मैं घर पहुँचती हूँ और पापा को अंतिम विदाई देती हूँ। पापा के जाने के बाद अब माँ को मुझे और दीदी को ही संभालना है। मैं और दीदी बड़ी मुश्किल से माँ को खाना खिलाने के बाद उन्हें सुलाते हैं। जब हम दोनों माँ को सुलाने के बाद कमरे से बाहर निकलते हैं तो दादी हमें अपने पास बुलाती हैं और मेरे सिर पर हाथ रखकर कहती हैं, "मुझे तुम पर गर्व है सिया बेटा। आज तुमने और तुम्हारे माँ-पापा ने मेरी सोच बदल दी, पर शायद थोड़ी देर हो गई बेटा।"

मैं रोते हुए जोर से दादी को गले लगा लेती हूँ।

वक़्त बीतता है। मेरे प्रीलिम्स एग्जाम में अच्छे नंबर आते हैं। उसके बाद मैं माईनस और इंटरव्यू भी कम्प्लीट कर लेती हूँ। अब सबको इंटरव्यू के रिजल्ट जानने का इंतज़ार है।

आज मेरा रिजल्ट आ जाता है। मैं उसमें भी पास हो जाती हूँ। माँ को ताने मारने वाले गली के सारे लोग मुझे और माँ को बधाई देते हैं। पर आज मैं और माँ अपने आँसूओं को रोक नहीं पाते। माँ मुझसे लिपट कर रोते हुए कहती हैं कि मेरा और तुम्हारे पापा का विश्वास जीत गया, हमारा सपना सच हो गया। आज माँ की आवाज़ सिर्फ़ उनकी नहीं थी, उनकी आवाज़ के साथ-साथ पापा की आवाज़ भी मैं महसूस कर रही थी और कह रही थी, "हाँ, आज मैंने आप दोनों का सपना सच कर दिया। आज दिल से कहने को मन कर रहा है ...थेंक यू माँ... थेंक यू पापा...
( समाप्त )


Next Hindi Story

All Hindi Stories    58    59    60    61    ( 62 )     63   


## Disclaimer: RiyaButu.com is not responsible for any wrong facts presented in the Stories / Poems / Essay or Articles by the Writers. The opinion, facts, issues etc are fully personal to the respective Writers. RiyaButu.com is not responsibe for that. We are strongly against copyright violation. Also we do not support any kind of superstition / child marriage / violence / animal torture or any kind of addiction like smoking, alcohol etc. ##

■ Hindi Story writing competition Dec, 2022 Details..

■ Riyabutu.com is a platform for writers. घर बैठे ही आप हमारे पास अपने लेख भेज सकते हैं ... Details..

■ कोई भी लेखक / लेखिका हमें बिना किसी झिझक के कहानी भेज सकते हैं। इसके अलावा आगर आपके पास RiyaButu.com के बारे में कोई सवाल, राय या कोई सुझाव है तो बेझिझक बता सकते हैं। संपर्क करें:
E-mail: riyabutu.com@gmail.com / riyabutu5@gmail.com
Phone No: +91 8974870845
Whatsapp No: +91 6009890717