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धैर्य

Hindi Short Story

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स्वरचित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता - Dec, 2022
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धैर्य
लेखिका- पूनम सोनी, हुसैनी आलम, हैदराबाद


# धैर्य

लेखिका- पूनम सोनी, हुसैनी आलम, हैदराबाद

मुख्य पात्र: यमराज जी एवं शिकारी

एक घना जंगल था। वहा एक शिकारी रहता था। वह प्रतिदिन पशु-पक्षियों को अपना भोजन बनाता था। और जंगल के आस-पास गाँव में रहने वाले लोगो के साथ बड़ा कूर व्यवहार करता था। एक बार वह खुद शेर का शिकार बन गया और प्राण गवा बैठा। मृत्यु के पश्चात् यमराज जी उसे नरक लोक ले जाते है। वहा वह अनेक लोगो को पीड़ा भोगते देखता है। वह यमराज जी से कहता है मुझे यहा नहीं रहना। यमराज जी कहते हैं- यह तो कर्मो पर आधारित है। जो अच्छे कर्म करता है उसे स्वर्ग मिलता है और जो बुरे कर्म करता है उसे नरक मिलता है एबं जो निस्वार्थ भाव से कर्म करता है उसे जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। वह मोक्ष प्राप्त कर लेता है।

शिकारी, यमराज जी से कहता है- मुझे भी जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति चाहिए।

यमराज जी कहते हैं- उसके लिए तुझे अगले मनुष्य जन्म की प्रतिक्षा करनी होगी। अभी तो तुझे नरक लोक में ही रहना पड़ेगा।

फिर से जब शिकारी का मनुष्य जन्म होता है वह एक गाँव में पैदा होता है। शिक्षा ग्रहण करने के लिए वह गुरुकुल जाता है। वहा उसे अपने गुरूओं से शिक्षा मिलती हैं कि कभी भी कठिन परिस्थितियों के सामने हार नहीं माननी चाहिए। हमेशा धैर्य, विश्वास और संयम से काम लेना चाहिए। जो भी शिक्षा ग्रहण करते है उसका समय आने पर सही उपयोग करना चाहिए।

वह शिक्षा ग्रहण करके अपने गाँव के लिए जाता है। जाते-जाते वह सोचता है कि मैं अपने गाँव में सभी बालक-बालिकाओं को मुझे मिली शिक्षा दूँगा। इसी बीच अत्यधिक वर्षा हो जाती है। वर्षा का जल उसके गले तक पहुँच जाता है। वह सोचता है अब कुछ देर में यह जल मेरे सिर तक पहुँच जायेगा और उसकी मृत्यु हो जायेगी। इसलिए वह अपने प्राण रोककर आत्महत्या कर लेता है। जैसी ही वह आत्महत्या करता है उसके कुछ देर पश्चात ही वर्षा रूक जाती है और पानी का स्तर नीचे चला जाता है।

मृत्यु के पश्चात् यमराज जी फिर उसे नरक लोक ले जाते हैं। वह कहता है- मुझे यहा क्यू लाया गया?

तब यमराज जी कहते हैं कि इस जन्म में उसने कोई गलत कार्य नहीं किए, जिस कारण उसे स्वर्ग भी मिलेगा। लेकिन आत्महत्या जैसा पाप किया, जिस कारण कुछ समय नरक में रहना पड़ेगा। वह पूछता है- क्या आत्महत्या भी पाप है?

तब यमराज जी कहते हैं- हाँ, आत्महत्या करना पाप है। तुमने आत्महत्या कर ईश्वर के द्वारा दिए गये जीवन को ठुकराया है।

शिक्षा:-इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि-
1) पशु-पक्षियों को मारना,लोगो के साथ क्रूर व्यवहार करना पाप है।

2) जो जैसा करता है, वैसा ही भोगता है। जैसे कि वह शिकार करते-करते खुद भी एक बार शेर का शिकार बन गया।

3 )धैर्य, विश्वास और संयम से कार्य करना चाहिए। जैसे ही वह व्यक्ति आत्महत्या करता है, वर्षा रूक जाती है। अगर वह धीरज रखता तो वह अपने जीवन का सही उपयोग कर पाता।

4) कठिन परिस्थितियों के सामने हार नहीं माननी चाहिए।

5) शिक्षा का सदुपयोग करना चाहिए।

6) नकरात्मक नहीं सोचना चाहिए। वह व्यक्ति सोचता है कि वर्षा का जल सिर तक पहुँच गया तो वैसे भी उसकी जान चली जायेगी। जबकि वास्तव में वर्षा रूक जाती है।

7)आत्महत्या करना पाप है। यह भी एक अपराध है, जिसकी सजा यमराज जी देते हैं।
( समाप्त )


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