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श्श्श.....कोई है

Hindi Short Story

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स्वरचित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता - Dec, 2022
Result   Details
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श्श्श.....कोई है
Writer: विनिता मोहता, विदिशा, मध्यप्रदेश


## श्श्श.....कोई है

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आज माँ जी को गुजरे हुए पूरे सवा महीने हो चुके हैं। उनकी धूप भी हो गई। पिछले कुछ दिनों से रवि कुछ ज्यादा ही परेशान रहे हैं, होए भी क्यो ना! उनकी माँ उनकी सब कुछ थी। पिता के जाने के बाद उन्होंने ही तो रवि को पाल-पोस कर आज इस लायक बनाया है।

"मगर आज उनकी सारी परेशानीया खत्म कर दूँगी। अपने हुस्न का जलवा कुछ इस तरह से बिखरा दूँगी कि रवि की सारी परेशानियां खत्म हो जाएंगी ओर वो माँ जी के गम से बाहर आ जायेंगे," सोचते हुए स्मिता अपने बेडरूम में आई, मगर तब तक रवि अपनी नींद की गोलियां लेकर सो चुका था। स्मिता ने नींद की गोली की डब्बी को अपने हाथ में उठाया और कहां, "बस आज के बाद तुम्हारा यहां कोई काम नहीं।"

रवि को सोते हुए देखकर स्मिता भी सो गई। सुबह 4:00 बजे कुछ खटर-पटर से उसकी नींद खुली, उसे लगा घर में कोई है!! वह रवि को उठाने की कोशिश करने लगी मगर नींद की दवाई लिए हुए रवि को तो मानो होश ही नहीं था। वह जैसे ही हॉल में पहुंची सामने एक शख्स बैठा मुस्कुरा रहा था। वह इतनी शांति से बैठा था जैसे मानो वह उस घर में आराम करने के लिए आया हो। स्मिता ने डरते हुए पूछा, "कौन हो तुम? क्या चाहिए तुम्हें? चुपचाप यहां से चले जाओ वरना मैं शोर मचा दूंगी!"

मगर वह शख्स स्मिता को देखकर मुस्कुराता रहा। उसकी मुस्कुराहट देखकर स्मिता डर गई। उसके मुंह से कोई आवाज नहीं निकली। वह एक टक उसे देखती रही। करीब 5:00 बजे वह शख्स अपनी जगह से उठा और स्मिता के पास आने लगा। उसे अपने करीब आते देख स्मिता डर के मारे बेहोश हो गई। जब उसे होश आया तो वह अपने कमरे में थी। रवि उसके पास बैठा था और उसके सर को धीरे-धीरे सहला रहा था। अचानक उसे वह शख्स याद आ गया और वह तुरंत घबराते हुए रवि के गले लग गई और उसे सारी बातें बताई। रवि मुस्कुराते हुए बोला, "शायद तुमने कोई डरावना सपना देखा होगा, वरना घर अभी भी पूरी तरह से लॉक है; ना कोई अंदर आया है और ना कोई बाहर गया है, यहां तक कि सब समान उसकी जगह पर ही है। तो वह शख्स क्या हवा में गायब हो गया?"

स्मिता को लगा, हो सकता है यह उसका वहम हो। अगले दिन शाम को उसने रवि से कहा, "प्लीज रवि बहुत दिनों से देख रही हूं, तुम नींद की दवाई लेकर सो जाते हो। अपनी परेशानी मेरे साथ साझा कर सकते हो... आखिर पत्नी हो तुम्हारी। तुम्हारी परेशानी में तुम्हारा साथ नहीं दूंगी तो और कौन देगा। मगर रोज-रोज नींद की दवाई लेना तुम्हारी सेहत के लिए ठीक नहीं!"

रवि मुस्कुरा कर बोला, "बस कुछ दिनों की बात और है, सब कुछ ठीक हो जाएगा। फिर मुझे इन नींद की दवाइयों की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।"

स्मिता के मना करने के बावजूद भी रवि रात को नींद की दवाइयां लेकर सो गया। मगर कल रात के हादसे के बाद स्मिता की आंखों में नींद नहीं थी। वह सोने के पहले बार-बार अपने घर के खिड़की दरवाजे चेक कर रही थी। रात 2:00 बजे तक सब कुछ खामोश था, धीरे-धीरे वो नींद के आगोश में जाने लगी, मगर जैसे ही उसे नींद लगी उसे लगा उसके करीब कोई है। वह घबराकर उठी तो कल रात वाला शख्स उसके सिरहाने बैठा मुस्कुरा रहा था। उसने रवि को उठाने की कोशिश की मगर कल रात की तरह नाकाम रही। वह शख्स धीरे-धीरे स्मिता के करीब आया और स्मिता के गालों पर हाथ फेरने लगा। डर के मारे स्मिता ने अपनी आंखें बंद कर ली। वह शख्स बोला, "जल्द ही बदला पूरा होगा, आत्मा को शांति मिलेगी।"

बदले की बात सुनकर जैसे ही स्मिता ने अपनी आंखें खोली सामने कोई नहीं था। वह जोरो से चीखने लगी। उसके चीखने की आवाज सुनकर रवि जाग गया। स्मिता पूरी तरह पसीने में भीगी हुई थी। उसे परेशान देखकर रवि ने पूछा, "क्या परेशानी है? इस तरह क्यों डरी हुई हो?"

तब स्मिता ने जब उसे सारी बात बताई तो यह बात रवि को कुछ समझ में नहीं आई। उसने तुरंत पूरा घर चेक किया, मगर उसे कुछ भी नहीं मिला। उसने तुरंत पुलिस को कॉल किया। पुलिस आई और पूरे घर की जांच पड़ताल करने के बाद इंस्पेक्टर साहब बोले, "आपको शायद भ्रम हो गया होगा। आपके घर के सारे खिड़की दरवाजे अच्छी तरह से बंद है, तो कोई व्यक्ति क्या ऐसे ही कहीं आ जा सकता है? शायद मैडम को कोई मानसिक परेशानी है। इसलिए उन्हें लोग दिख रहे हैं। आप अनजान शख्स की तलाश करने के बजाए इनके दिमाग का इलाज कराइए..." कहकर इंस्पेक्टर चले गए। इंस्पेक्टर के जाने के बाद रवि काफी देर तक स्मिता को संभालता रहा। अगले दिन स्मिता की परेशानी को कम करने के लिए वह अपने घर में सीसीटीवी कैमरे ले आया। उसने कैमरे घर के बाहर एट्रेंस पर और हर मुनासिब जगह, जहां से कोई घर के अंदर आ सकता था लगा दिए। अगले दिन स्मिता को डरते देख रवि ने नींद की दवाई का सेवन नहीं किया और रात अच्छे से बिताने के लिए दोनों मूवी देखने लगे। देर रात तक मूवी देखते-देखते दोनों सो गए। थोड़ी देर बाद फ़ीर आवाज से स्मिता की नींद खुली, उसने देखा बाहर हॉल में बहुत शख्स उसे देख कर मुस्कुरा रहा है। उसने तुरंत रवि को जगाया। स्मिता के जगाने पर रवि तुरंत उठा और हॉल की तरफ जाने लगा। मगर उस शख्स के पास पहुंचकर भी वह उसे देख नहीं पा रहा था। स्मिता उसे उस शख्स से सावधान रहने का बोल रही थी, मगर रवि किस से सावधान रहें? उसे तो कोई नजर ही नहीं आ रहा था। स्मिता के कहने पर उसने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी चेक करी, मगर कहीं भी कुछ दिखाई नहीं दिया। अब स्मिता बहुत बुरी तरीके से डर गई थी, रवि को लगा, हो सकता है इंस्पेक्टर की कही बात में कोई सच्चाई हो। अगले दिन वह स्मिता को डॉक्टर के यहां लेकर गया। फिर चला अंतहीन दवाइयों का दौर। सारा दिन दवाइयों के नशे में रहने के बावजूद भी अब उसे दिन में भी कोई नजर आने लगा था। डॉक्टर लगातार दवाइयों के ड़ोज बडा रहे थे, मगर स्मिता की तबीयत में कोई सुधार नहीं था। हार कर रवि ने डॉक्टर्स के कहने पर स्मिता को मेंटल एसाइलम में भर्ती कर दिया। वह समय रवि के लिए बहुत कष्टदायक था। दोनों गले मिलकर काफी देर तक रोते रहे, उसके बाद उसे वहां छोड़कर रवि घर आ गया। आज घर पर अकेले रहकर पूरा घर उसे खाने को दोड़ रहा था। उसने अपनी शराब की बोतल निकाली और अकेले पीने की कोशिश करने लगा। मगर आज मौका ऐसा था कि अकेले कैसे पीता!! उसने उस शख्स को बुलाया जो स्मिता को दिखता था, आखिर यह सब उसी की मेहनत का तो नतीजा था जो स्मिता आज मेंटल एसाइलम मे थी। उस शख्स के साथ अपने जाम toss करते हुए रवि ने कहा, "माँ तुम्हें शांति मिल गई होगी। इस स्मिता के भरोसे तुम्हें छोड़कर कुछ दिनों के लिए विदेश क्या चला गया, इसने तुम्हें पागल साबित कर कर अनाज के एक-एक दाने के लिए तरसा दिया था। उस पल को कैसे भूल सकता हूं जब तुमने मेरी बाहों में अपना दम तोड़ा था। आज खुद पागलों के बीच अपना जीवन बिताएगी! स्मिता अब बताओ पागल कौन था?"
( समाप्त )


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