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स्वरचित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता - Dec, 2022
Result
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बदलाव
Writer: विनिता मोहता, विदिशा, मध्यप्रदेश
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बदलाव
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कैसिनो में लाइट जगमगा रही थी। चारों ओर रोशनी थी। लोगों के जीतने का शोर और जाम टकरा रहे थे, मगर राहुल की आंखों मैं सुना पन और उस के आगे अंधेरा छा रहा था। शराब का नशा पूरी तरह उतर चुका था। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो अब क्या करेगा? बस सोच में डूबा गुमसुम बैठा था। तभी किसी ने आकर उसे जोर से हिलाया, तब उसे होश आया। सामने उसका दोस्त खड़ा था। उसने राहुल के हाथों से कार की चाबी लेकर किसी और को दी और उसे अपने हाथों का सहारा देकर कैसीनो से बाहर लेकर आया, हाथों के इशारों से एक ऑटो को रुकवाया और दोनों दोस्त उस ऑटो में बैठ गए। ऑटो में बैठते ही रवि ने राहुल से कहा, "तुम्हें लाख बार मना किया है, मगर तुम किसी की सुनते ही नहीं हो। अब क्या होगा तुम्हारा सब कुछ तुम कैसीनो में हार चुके हो? अब कैसे सब कुछ मैनेज करोगे?"
राहुल की आंखों में आंसू थे। वह अपने दोस्त रवि से बोला, "मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है, कैसे सब कुछ होगा? कल सुबह वे लोग आकर मेरे घर को भी अपने कब्जे में ले लेंगे। मां-बाबा से लड़कर जायदाद में अपना हिस्सा लेकर शहर आकर बस गया था। अब वापस गांव भी नहीं जा सकता। ऊपर से मोहिनी की जिम्मेदारी... उसे नवा महीना चल रहा है। जल्द ही एक नई जान की जिम्मेदारी हमारे ऊपर होगी। सोचा था एक बड़ा दाव लगाकर सब कुछ ठीक कर दूँगा, मगर यहा तो मेरा दाव ही उल्टा पड़ गया। अब क्या करूँ?" कहते हुए राहुल की आंखों में आंसू आ गए।
"सुबह देखी जाएगी, अभी तुम जाकर अपने घर में आराम करो। भाभी भी अकेली होंगी। उन्हें इस समय तुम्हारे साथ की सबसे ज्यादा जरूरत है," कहते हुए रवि ने उसे उसके घर पर छोड़ दिया। राहुल की पत्नी मोहिनी ने राहुल के लिए दरवाजा खोला तो सामने राहुल शराब के नशे में धुत खड़ा था। मोहिनी के लिए यह कोई नई बात नहीं थी। मोहिनी उसे अपने हाथों का सहारा देकर कमरे में लेकर आई और उसे सुलाते हुए बोली,"आपको कितनी बार कहा है अब आप पर दोहरी जिम्मेदारी आने वाली है। अब तो सुधर जाइए।" मोहिनी के कहने पर राहुल की निगाह मोहिनी पर गई। उसे खुद पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। मोहिनी से बिना कुछ कहे वह उठकर घर की छत पर जाकर खड़ा हो गया। आसमान में चांद चमक रहा था और मन में गहरा अंधकार, "अब कुछ देर बाद ही मेरा घर नीलाम हो जाएगा..." सोचते हुए वह छत की रेलिंग पर चढ़ गया और मन ही मन सोचा, "आज यहां से कूदकर सब कुछ खत्म किए देता हूं। शायद मेरे जाने के बाद मां-बाबा मोहिनी को, और मेरे होने वाले बच्चे को आसरा दे दे..."
वह कूदने ही वाला था कि उसे लगा कोई उसे आवाज दे रहा है, "पापा मत जाओ, मुझे छोड़कर मत जाओ..." पीछे मुड़कर देखा तो एक नन्ही सी परी मुस्कुरा रही थी। उसकी मुस्कुराहट देखकर राहुल को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हुआ, और छत की रेलिंग से नीचे उतरा। उसे पछतावा होने लगा कि इस तरह अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ना चाहिये था। वो तुरंत अपनी पत्नी मोहिनी के पास जाकर उसके पैरों में बैठ कर बोला, "मुझे माफ कर दो मोहिनी। मैं अच्छा पति नहीं बन पाया। मगर तुमसे वादा करता हूं, अच्छा पापा बनने की पूरी कोशिश करूंगा। मुझे एक मौका दे दो। डबल मेहनत कर कर तुम्हें और हमारे आने वाले बच्चे को इस दुनिया की सारी खुशियां ला कर दूंगा। मैं गलत था जो जुआ और मौत को आसान समझ कर उसे गले लगाने जा रहा था। मगर अब मुझे समझ में आ गया है कि ये दोनों किसी भी समस्या का हल नहीं है।"
( समाप्त )
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