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दो दोस्त की कहानी

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स्वरचित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता - Dec, 2022
Result   Details
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दो दोस्त की कहानी

Writer: H.P.Sarkar, Dhaleswar-13, Agartala, Tripura (W)

✿ शांति और सुनील दोस्त थे। उनके घर पास पास ही थे। शांति और सुनील के लेड़के भी साथ-साथ स्कूल में पड़ते थे। दोनों लेड़के पढ़ने में होशियार थे। लेकिन जैसे जैसे दोनों बड़े होने लगे सुनील का लेड़का पिछड़ने लगा और शांति का लड़का आगे बढ़ता गया। हर काम में शांति का लड़का बाकी लड़कों से बहुत आगे निकल जाता था। सुनील बहुत कोशिश करके भी अपने लेड़के को आगे लाने में विफल रहा।

वह अपना काम काज छोड़के दिन भर लेड़के पीछे ही लगा रहता था और वह क्या खाएगा, क्या पहनेगा, कहां जाएगा इन सारी बातोंमें दखल देता था। धीरे धीरे उसका लेड़का बहुत बिगड़ने लगा। बाद में सुनील उसको मारने-पिटने लगा मगर कुछ फायदा नहीं हुआ। सुनील को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करेगा। इस हालत में एक दिन वह अपने एक दोस्त के पास गया और सारी बातें उसको बताई। दोस्त ने सलाह दी शांति का अनुसरण करो। शांति कैसे अपने बेटे की देख-भाल करता है, कैसे अपने बेटे की पढ़ाई-लिखाई पे ध्यान देता है ये सव अनुसरण करो। सुनील को यह बात अच्छी लगी और उसने ऐसा ही किया।

बहुत बिनती करके सुनील गर्मी की छुट्टियों में अपने परिवार के साथ शांति के परिवार को भी अपने गाँव में ले आया।

सुंदर गाँव, चारों तरफ खुला मैदान, दूर तक हरियाली। ताज़ी हवाओंके बीच किसान खेत में काम कर रहे थे। सुबह- सुबह वे लोग गाँव में पहुंचे। सुनील का गाँव शांति को बहुत अच्छा लगा। थोड़ी देर विश्राम के बाद शांति अपने पंद्रह बर्षीय लड़के को कहा “ देखो कितना सुंदर गाँव है। ताजी हवा, हरे-भरे खेत। ये सब शहर में नहीं मिलेगा। जाओ तुम दोनों दोस्त मिलके गाँव में घूमके आओ। दोनों मिलके ख़ूब मस्ती करके आओ। ”

सुनील अपनी आदत के हिसाब से माना करने ही जा रहा था फिर मुशकिल से खुद को रोका। उसने कभी अपने बेटे से इस तरहा की बातें नहीं की थीं। वह शांति की तरफ देखने लगा। लेड़के है-है करके मस्ती मे घूमने निकल पड़े।

सुनील कुछ देर बाद-बाद बाहर जाकर देखने लगे कि लड़के आए हैं कि नहीं। मगर जब बहुत देर तक लेड़के नहीं आए तो उसने शांति से पूछा “शांति लड़के अभी तक नहीं आए?” शांति मुस्कराकर बोला “भाई, तू चिन्ता मत कर। नई जग, सुंदर और मनोरम गाँव है। वे दोनों दूर तक चले गए होंगे। या फिर नए दोस्तों के साथ किधर खेल-कूद में जुट गए होंगे। थोड़ी देर बाद आ जाएंगे। तू चल भाइ मेरे साथ, दोनों नहाने चलते हैं फिर खाना खा लेते हैं। बहुत भूख लगी है। ”

सुनील को इस हालत में नहाने और खाना खाने की बात अच्छी नहीं लगी। मगर वह कुछ नहीं बोला। दोनों के खाना आधा ही होआ था कि लड़के आ पहुँचे। उनके सारे बदन पे मिट्टी और कीचड़ लगे हुए थे। अपने लड़के को इस हाल में देखकर सुनील को बहुत ही गुस्सा आया। वह गुस्से से अपने लड़के को दो झापड़ लगाने ही वाला था कि शांति जोर जोर से हँसने लगा। उसने बोला “ क्या बच्चों ! लगता है बहुत कसरत करके आए हो। ज़मीन में हल चला रहे थे क्या? ”

दोनों लेड़के महा आनंद और उत्साह से बोलने लगे “ हाँ, अपने ठीक पकड़ा। हम दोनों ने एक किसान को अपना दोस्त बनाया और उसके साथ मिलके ज़मीन में हल चलाए। बहुत मज़ा आया। ” शांति: फिर क्या क्या सीखा तुमने? लड़के बोलने लगे “ हमने बहुत कुछ सीखा। जैसे, कैसे हल चलाना पड़ता है? कैसे बैलों को संभालना पड़ता है। हमें यह भी पता चला कि एक किसान अनाज के लिए कितनी मेहनत करता है। ”

शांति: सही कहा तुमने। अब जाओ और अच्छे से नहाके आ जाओ। सुनील आश्चर्य होके कभी शांति को देखता था तो कभी अपने लड़के को देखता था। अपने लड़के को इतना खुश उसने कभी नहीं देखा। दोपहर के बाद शांति लड़को से पूछा “ चलो , सव मिलके देखके आते हैं के तुमने कैसा काम किया है आज। ”

लड़के खुशी खुशी राजी हो गए और चारों एक साथ निकल पड़े। तभी आसमान में बादल दिखाई दिए। इस हालत में सुनील कभी भी अपने लड़के को बाहर जाने नहीं देता था, सो उसने शांति से पूछा “ शांति, आसमान में बादल हैं। लगता है जलदी ही बारिश होगी। ऐसे मे बाहर जाना क्या सही होगा?”
शांति: आरे सुनील, हम लोग यहा घूमने, मज़ा करने और भिगने ही तो आए हैं। और खास बात ये है कि हमारे लड़कों ने आज खूब मेहनत की है। हमें वो देखना चाहिए। तू चल, कुछ नहीं होगा। ” चारों निकल गए। महा आनंद और उत्साह के साथ लेड़कों ने वह जमीन दिखाने लगे। ज़मीन के इस हिस्से पे एक ने काम किया था और उस हिस्से पे दूसरे ने काम किया था।

अपने लड़के का काम देखके सुनील दंग रह गया। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका लड़का इतना सुंदर काम किया है। उसकी आँखोंमें आँसू आ गए। उसी समय बरसात होने लगी। बारिश के पानी और उसकी आँखों के पानी एक हो गए। कोई उसे देख न पाया। सुनील को एहसास होने लगा कि उसने अपने लड़के के साथ क्या क्या गलती की। उसको एहसास होने लगा कि उसने क्या क्या खोया है। उसने मन ही मन शांति को और अपने उस दोस्त को धन्यवाद दिया। उसे लगने लगा कि वह अगर इधर नहीं आता तो कभी इस सच को समझ ही नहीं पता।
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