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क्रैक

One selected story from Hindi Story Competition 'नगेन्द्र साहित्य पुरस्कार', 2020

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स्वरचित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता - Dec, 2022
Result   Details
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क्रैक
लेखक- रविन्द्र सिंह सजवान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
One selected story from Hindi Story Competition 'नगेन्द्र साहित्य पुरस्कार', 2020



क्रैक

लेखक- रविन्द्र सिंह सजवान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय

"मेरे पापा पागल नहीं है! वो पागल नहीं है, नहीं है," 15 वर्ष की वर्तिका अपनी मां को बोलते हुए, "मैं जानती हूं मेरे पापा आएँगे मेरे जन्मदिन पर मेरे लिए वो तोहफा लेकर जिसके लिए मैंने अपने पापा को कॉल की है। देखना वो एक विजेता की तरह आएँगे । मैं जानती हूं मेरे पापा मेरे लिए कुछ भी कर सकते हैं," वर्तिका मूड कर वापिस चली जाती है अपने कमरे में और फिर अपने पापा को कॉल लगती है। उसके पापा, उनका नाम तो वैसे श्रीमान विजयानंद है लेकिन वो अपने आस-पास क्रैक के नाम से ज्यादा जाने जाते है। क्रैक वैसे क्रैक नहीं बल्कि किसी भी गलत चीज को ना होने देना तीन-चार दुकानों के मालिक और एक मकान के मालिक है। दुकानों के किराए से आमदनी हो जाती है, मकान के एक कमरे में खुद रहते है। बीवी-बेटी के साथ कब का छोड़ चुकी है। हां तलाक नहीं हुआ है, लेकिन पत्नी बहुत दूर रहती है। क्रैक नाम कहां से पड़ा मालूम नहीं, लेकिन सच कहें तो सच्चा इन्सान, ईमानदार इन्सान क्रैक ही होता है। 14 जन्मदिन पर जब बेटी से बात हुई थी तो बेटी ने मिलने की बात कही थी, लेकिन साथ में वादा किया था कि वो कुछ ऐसा करेंगे जिससे उनका नाम हो और वो मशहूर हो जाएं; तो बेटी के जन्मदिन से तीन महीने पहले ही साइकिल पर निकल पड़े बेटी से मिलने। और बेटी ने मोबाइल में एक यू ट्यूब अकाउंट खोल कर नाम रखा है 'मिलन पापा का'। उस यू ट्यूब में बेटी अपने पापा की जर्नी को दिखाना चाहती हैं। उसके लिए जनाब ने पूरी तैयार की है वो दिल्ली में है और बेटी तमिलनाडु में। जब वो साइकिल पर निकले रोज अपनी बेटी को एक वीडियो सेंड करते रहे अपनी आने की, और बेटी उसे you tube पर अपलोड करती रही। देखते-ही देखते उनकी वीडियो वायरल हो गई और पिता की जर्नी को देश विदेश में लाखों लोगों ने देखा। अब वो जिस भी शहर में जाते, लोग उन्हें सर पर बिठाते उनकी आवभगत करते। देखते-ही देखते वो क्रैक फेमस हो गया और आज ठीक तीन महीने बाद अपनी बेटी के जन्मदिन पर उसके घर पहुंचे और वो वीडियो केवल वो ही नहीं पूरा तमिलनाडु बना रहा था उसकी बेटी के घर के बाहर खड़ा होकर। बेटी जानती थी उसके पिता क्रैक नहीं है। उसके पिता उसके लिए सबकुछ कर सकते हैं और आज वो पिता बहुत खुश है अपनी बेटी का सपना पूरा करके।

एक इंटरव्यूअर ने जब बेटी से पूछा, "दुनियां तो आपके पिता को क्रैक कहती है..." तब बेटी ने कहा, "मेरे पापा क्रैक है बिल्कुल है। जब किरायेदार मेरे पापा को किराए में धांधली करते थे मेरे पापा ने कभी उनके उपर इल्ज़ाम नहीं लगाया। जब कोई जानवर नाली में पड़ा होता था मेरे पापा बिना परवाह किए उस नाली से निकलते थे बिल्कुल एक क्रैक की तरह। मैंने देखा है लोग मेरे पापा को बेवकूफ बना कर पैसे ऐंठ लेते थे और मेरे पापा जानकार भी मदद कर देते थे क्यों, क्योंकि वो क्रैक थे। नहीं वो सब जानते थे, सब समझते थे लेकिन कहते नहीं थे। जब मेरी मां ने सबकुछ देखकर भी एक बार भी पापा को समझने की कोशिश नहीं की लेकिन उसके बाद भी पापा हमेशा ख़ामोश रहे। मेरी मां ने उन्हें छोड़ दिया, पापा ने कुछ नहीं कहा, मैंने देखा था उस समय पापा के आंसू। जिस दिन मां को घर छोड़ना था पापा अकेले छत पर बैठे थे, आंसुओं के साथ रो रहे थे, ख़ामोश थे। मैं चली गई लेकिन पापा ने हमेशा मुझे कॉल की। देखिए ये फोन मेरे पापा ने मुझे जाने से पहले दिया था जिसे मैंने आज तक छिपा कर रखा है और आज उन्होंने मेरी खातिर मेरे जन्मदिन को स्पेशल बनाने के लिए इतनी दूर से साइकिल चला कर आए। मेरे पापा क्रैक है, पर हर हाल में मुझे मेरे पापा पर गर्व है। चाहे वो दुनियां के लिए कुछ भी हो, मेरे लिए हमेशा बेस्ट रहेंगे।

वर्तिका के आंसुओं से भरा चेहरा देखकर हर कोई गमगीन हो गया था। वर्तिका अपनी मां और पिता के साथ वापिस दिल्ली चली, वहीं जहां उसके क्रैक पिता रहते थे। आज हर दूरी मिट गई थी।
( समाप्त )


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