------ Notice Board ----
स्वरचित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता - Dec, 2022
Result
Details
--------------------------
All Hindi Stories
45
46
47
48
( 49 )
50
◕
गोलू कि मुरली
Writer - सबिता कुशवाहा, निपनिया, रीवा, मध्य प्रदेश
##
गोलू कि मुरली
Writer - सबिता कुशवाहा, निपनिया, रीवा, मध्य प्रदेश
#
आज जब से गोलू घर आया है, मुरली के लिए जिद कर रहा है। माँ मुझे मुरली ला दो, मुझे कृष्ण बनना है। माँ ने पूछा, "क्यों भाई, तुझे कृष्ण क्यों बनना है?"
गोलू ने माँ को बताया, "स्कूल में कृष्ण पर एक नाटक होने वाला है। मैं उसी में कृष्ण बनूंगा। मैडम ने कहा है कि जिसके पास मुरली होगी वह वही कृष्ण बनेगा।"
अब माँ के समझ में पूरी बात आई। माँ ने अपना पीछा छुड़ाने के लिए गोलू से कह दिया कि जब तुम्हारे पापा आएंगे तो उनसे कह कर तुम्हारे लिए मुरली मंगवायेंगे । गोलू इस बात को सुनकर खुश था, क्योंकि पापा उसकी इच्छा हमेशा पूरी किया करते थे। अब गोलू का पूरा ध्यान माँ से हटकर पापा की ओर था, वह बार-बार गेट तक जाता और सड़क से दूर तक देखता और वापस आ जाता।
शाम को जब मोटर गाड़ी की आवाज सुनाई दी तो वह दौड़ता हुआ पापा के पास पहुंचा। गोलू के पिता ने अपने छः साल के बेटे को प्यार से गोद में उठा लिया, गोलू ने बिना देर किए पिता से कहा, "मुझे मुरली ला दीजिए पापा, मुझे स्कूल में कृष्ण बनना है।"
पिता ने कहा, "ठीक है बेटा, कल घर आते समय मैं तुम्हारे लिये मुरली जरूर लेकर आऊंगा।"
गोलू खुशी से आंगन में दौड़ने लगा। कभी दादी, तो कभी दादा जी के, तो कभी माँ की गोद में चढ़ जाता। चाचा को आया देखकर वह उनके गोद में चढ गया। आज खुशी से गोलू को नींद नहीं आ रही थी, बड़ी ही मुश्किल से उसे माँ ने सुलाया।
सुबह होते ही गोलू उठ गया और अपने पिता से उसने कई बार मुरली लाने की बात कही। उसके पिता हर बार, "ठीक है, मैं शाम को लाकर देता हूँ," वो ऐसा कह देते और गोलू शांत हो जाता है। स्कूल में गोलू ने पूरी क्लास को यह बात बता दी, "मेरे पापा मेरे लिए आज मुरली लेकर आएंगे।"
गोलू के पापा मोहन ने गोलू के चाचा रामू से मुरली लाने की बात कही थी, क्योंकि रामू की संगीत के यंत्र वालों से पहचान थी। गोलू जब से स्कूल से लौटकर आया वह बस अपने पिता का इंतजार ही कर रहा था। उसने माँ से कई प्रश्न पूछडाले, "माँ पापा को मुरली मिल जाएगी? वह कहां से खरीदेंगे? आज दुकान बंद तो नहीं होगी?"
माँ बस एक ही उत्तर देती, "पापा को आने दो, फिर देखते हैं; फिर पता चलेगा।"
गोलू गेट पर ही खड़ा था। जैसे ही गाड़ी की आवाज आई गोलू दौड़ कर बाहर आया और चिल्ला-चिल्ला कर आवाज लगाई, "पापा मुरली ले आए? मेरी मुरली कहां है?"
पिता ने खाली हाथ गोलू के सामने कर दिया, और कहा, "बेटा आज मुरली नहीं मिली, दुकान बंद थी। मैं कल ले आऊंगा।"
मगर गोलू कहां मानने वाला था। वह काफी दुखी हुआ और पिता से नाराज हो गया। कई बार मनाने पर भी बात नहीं की। तब चाचू की गाड़ी की आवाज सुनाई दी। दुखी गोलू दरवाजे पर जाकर चाचू को देखने लगा। गोलू का उदास मुंह देखकर चाचू ने गोलू से पूछा, "क्या हुआ मेरे गोलू- मोलू को? इतने गुस्से में क्यों है?"
गोलू ने नाराजगी से कहा, "पापा ने मेरे लिए मुरली नहीं लाई है चाचू।"
अब रामू को माजरा समझ में आया। उसने गोलू से कहा, "जरा आंखे बंद करो।"
गोलू ने दुखी मन से आंखें बंद कर ली और उसके चाचू ने छोटे-छोटे हाथों में मुरली रख दी। मुरली छूते ही गोलू ने आंखें खोली और चहक उठा, "मेरी मुरली आ गई!!"
उसने पहले तो अपने चाचू के दोनों गालों में प्यारे से चुंबन दिए, फिर गले से लगा लिया। रामू इस कीमती खजाने का आनंद उठा कर आनंद - विभोर हो रहा था, इस खजाने को सिर्फ प्रेम से ही पाया जा सकता था। गोलू चिल्लाता हुआ दौड़कर अपनी मां पास गया और कहने लगा, "मेरे चाचू दुनिया में सबसे अच्छे हैं, मेरे लिए मुरली लेकर आए हैं," फिर उसने वापस जाकर रामू से पूछा, "किसने दिया आपको मुरली?"
चाचू ने कहा, "तुम कृष्ण बनने वाले हो ना, तो मुरली-धारी भगवान श्रीकृष्ण ने मुझे यह मुरली दी है तुम्हारे लिये।"
गोलू बहुत खुश था, और अब वह अपने पिता से नाराज भी नही था, सोते समय बस यही कह रहा था, "मैं कृष्ण हूँ, मैं कृष्ण हूं।"
माँ अपने लाल की ऐसी नटखट शैतानियां देखकर हमेशा चिंता में रहती कि कहीं नजर ना लग जाए और हमेशा नजर उतारा करती, क्योंकि गोलू उसकी आंखों का तारा जो है।
आज रविवार का दिन है, तो गोलू को घर पर ही रहना था। सुबह से ही गोलू मुरली के शोर से घरवालों को परेशान कर रहा था। कभी दादा-दादी, तो कभी माँ को, "लग रहा हूं ना मैं बिल्कुल कृष्ण?" दादा जी ने उसे टीवी में एक कलाकार को मुरली बजाते हुए दिखाया। गोलू को समझ में आ गया की मुरली कैसे बजती है। गोलू की जिद थी कि अब मुझे ऐसे ही मुरली बजानी है। उसने घर के सभी लोगों को फिर परेशान करना शुरू कर दिया कि "मुझे ऐसे मुरली बजानी है, जैसे टीवी में बताते हैं।"
दादाजी बहुत परेशान हो गए और उन्होंने गोलू से कहा, "पूजा घर में 'कृष्ण गोपाल' है। तो जा कर उन्हीं से सीख लो। वो बहुत अच्छी मुरली बजाते हैं।"
गोलू दौड़ कर पूजा घर पहुंचा। गोपाल झूले में बैठे झूला झूल रहे थे। गोलू ने कृष्ण को प्रेम भाव से देखा और कहां, "मेरे दादाजी कह रहे थे कि तुम बहुत अच्छी मुरली बजाते हो, क्या तुम मुझे मुरली सिखाओगे?"
कृष्ण बिना कुछ कहे बस मुस्कुराते रहे। गोलू ने फिर वही बात कही। कृष्ण अभी भी मुस्कुरा रहे थे। गोलू ने उन्हें शक की नजर से देखा और कहा, "दादाजी मुझसे झूठ बोल रहे थे!!"
गोपाल कृष्ण मुस्कुराए और मुरली बजाना शुरू की। गोलू चौक कर खड़ा हुआ और उसने गोपाल से कहा, "अभी तक तुम मुझसे बहाने बना रहे थे?"
गोलू ने कोशिश की मगर उसकी मुरली नहीं बज रही थी। तभी गोपाल कृष्ण ने उसकी मुरली में एक मधुर सी ध्वनि डाल दी। गोलू ने जैसे ही फूंक मारी उसकी मुरली से बहुत सुंदर ध्वनि निकली और पूरा पूजा घर गूंज उठा। गोलू बहुत खुश हुआ। दोनों ही एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे। गोलू दौड़ करके माँ के पास गया और कहा, "देखो माँ, मैंने मुरली बजाना सीख लिया," और जल्दी से मुरली बजाई। इतनी प्यारी सी ध्वनि सुनकर माँ को आश्चर्य हुआ। उसने एक बार चारों तरफ देखा, यह आवाज तो गोलू की मुरली से आ रही थी। उसने खुद को समझाते हुए सोचा, इतनी देर से प्रयास के चलते शायद अपने आप ही ध्वनि बजने लगी है, चलो ठीक ही है।
गोलू ने सबको अपनी मुरली बजा कर सुनाई, सब बहुत खुश हुए। आज गोलू थक कर सो गया था। सुबह गोलू जल्दी उठ गया, माँ के आगे -पीछे, "माँ मुझे कृष्ण बना दो।"
माँ को काम करते देखकर गोलू की दादी ने बड़े प्यार से अपने पास बुलाया और कहा, "आ जा मेरे गोलू-कृष्णा, मैं तुझे कृष्ण बनाती हूँ।"
दादी ने गोलू को प्यारी सी परदनि और कुर्ता पहना दिया, सर पर एक पीले कपड़े को बाधकर उस पर मोर पंख लगा दिए। सुंदर-सुंदर आंखों पर मोटा सा काजल, गोलू आज सचमुच कृष्ण लग रहा था। पापा ने गोलू को आवाज लगाई, "जल्दी करो बेटा, वरना हम लेट हो जायेंगे।"
गोलू दौड़ कर बाहर आया, और उसने माँ को आवाज लगाइए, "माँ मेरे जूते कहां है?"
माँ जूते लेकर बाहर आती है, अचानक उसकी नजर गोलू पर पड़ती है, वह गोलू को एकटक देखती रह जाती है, और मन में विचार करने लगती है, "इतना सुंदर बालक, क्या यह मेरा गोलू है या फिर कृष्ण है?"
उसकी आंखों आंसू से भर गए। उसने अपनी आंखें बंद करके कहा, "शुक्रिया मेरी संतान बनने के लिए," और काजल उठाकर उसके गाल में लगा दिया, "मेरे लाल को किसी की नजर ना लगे, मेरी खुद की भी।"
मगर गाल पर काजल लगने से गोलू नाराज हो गया। और खुद को छुड़ाते हुए कहता है, "माँ तुमने सारा चेहरा गंदा कर दिया, मैं तुमसे बात नहीं करूंगा।"
नाराज नजरों से गोलू पापा के पास चला गया और अपनी मुरली अपने कमर में फंसा लिया। माँ उसे देख कर बस मुस्कुरा रही थी, जहां तक गोलू दिखा माँ उसे खड़ी होकर देख रही थी।
( समाप्त )
Next Hindi Story
All Hindi Stories
45
46
47
48
( 49 )
50
## Disclaimer: RiyaButu.com is not responsible for any wrong facts presented in the Stories / Poems / Essay or Articles by the Writers. The opinion, facts, issues etc are fully personal to the respective Writers. RiyaButu.com is not responsibe for that. We are strongly against copyright violation. Also we do not support any kind of superstition / child marriage / violence / animal torture or any kind of addiction like smoking, alcohol etc. ##
■ Hindi Story writing competition Dec, 2022 Details..
■ Riyabutu.com is a platform for writers. घर बैठे ही आप हमारे पास अपने लेख भेज सकते हैं ...
Details..
■ कोई भी लेखक / लेखिका हमें बिना किसी झिझक के कहानी भेज सकते हैं। इसके अलावा आगर आपके पास RiyaButu.com के बारे में कोई सवाल, राय या कोई सुझाव है तो बेझिझक बता सकते हैं।
संपर्क करें:
E-mail: riyabutu.com@gmail.com / riyabutu5@gmail.com
Phone No: +91 8974870845
Whatsapp No: +91 6009890717