Home   |   About   |   Terms   |   Contact    
A platform for writers

औपचारिक रिश्ता - Part 2

Hindi Short Story

List of all Hindi Stories    22    23    24    25    26    27    28    ( 29 )    
------ Notice Board ----
स्वरचित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता - Dec, 2022
Result   Details
--------------------------


औपचारिक रिश्ता - Part 2
लेखिका- सुरभि सिंह, सेक्टर एच, एल डी ए कालोनी, लखनऊ


Other Parts of this story: Part 1     Part 2     Part 3     Part 4    

# औपचारिक रिश्ता - Part 2
उबलती चाय को चम्मच से चलाते हुए गौरी अतीत की यादों और वर्तमान के हालातों की समीक्षा कर रही थी। लेकिन उसकी हर समीक्षा उसे निराश कर देती थी। वह सिर झिटकर कप में चाय डाली फिर ट्रे लेकर अपने कमरे की तरफ बढ़ चली। उम्मीद के मुताबिक महेंद्र टी.वी. के सामने बैठा था। गोद मे बैठी बच्ची भी टी.वी. देख रही थी। गौरी ने एक नज़र टी.वी. को देखा, फिर सामने बैठे बाप बेटी को। ना चाहते हुए भी उसके होठों पर मुस्कान थिरक उठी।

"आपकी चाय," वह मुस्कुराते हुए चाय की ट्रे लाई और महेंद्र के बगल में रख दी।

"थैंक्यू," रोज़ की तरह आज भी महेंद्र ने सिर्फ़ औपचारिक धन्यवाद कहा। शादी के दो साल बीत गए पर आज तक महेंद्र ने कभी उससे साथ में चाय पीने को नहीं कहा।

"दीदी सही कहती थीं, मैं सच में पागल हूँ। उन्होंने तो ये भी नहीं कहा था कि इस रिश्ते से, या उनसे कोई उम्मीद लगाओ, लेकिन तुमने तो अपने मन से कसीदे बुन लिए, अपने मन से उम्मीदें लगाई, मोहब्बत..." एक ख़ास शब्द पर ग़ौरी की सोच ठहर गई। आँखों मे आँसू आ गए।

#
"बेटा! मेरी नाक मत कटाना। उमा की तरह भागना मत। रिश्ते को दिल से निभाना। प्लीज़ मेरी गुड़िया, मेरी लाज रख लेना। वरना तेरे माँ बाप जीते जी मर जाएंगे।"

वह शादी का लाल जोड़ा पहने महेंद्र के कमरे में खड़ी थी लेकिन उसके दिमाग में अपनी माँ की बातें गूँज रही थी, जो विदाई के वक़्त उसकी माँ ने अपना आँचल फैलाकर गिड़गिड़ाते हुए कहा था। भले ही पहले वह इस शादी से इंकार कर रही थी, लेकिन अब उसने सोच लिया था कि वो ये शादी दिल से निभायेगी। कुछ तो असर था इस सिंदूर का, जो अचानक से उसे इस रिश्ते को निभाने की हिम्मत मिल गई थी। कुछ तो दम था मंगलसूत्र के इन काले मोतियों में, जो वो महेंद्र को अपने जीवन मे अपनाने के लिए तैयार थी। वह तो तैयार थी लेकिन महेंद्र का क्या? वो तो ना सिंदूर लगाता है, और ना मंगलसूत्र पहनता है। क्या वो अपनाएगा इस रिश्ते को? क्या वो स्वीकार करेगा उसे, अपनी पत्नी के रूप में?

सुहागरात में आईने के सामने खड़ी वह ख़ुद से कई सवाल पूछ रही थी, लेकिन उसके सभी सवालों का जवाब एक मैसेज ने दे दिया था, जो महेंद्र की तरफ़ से उसे मिला था।

"तुम्हारी बहन ने काफ़ी गहरा ज़ख्म दिया है मुझे। अब शायद ही कभी भरे। जानता हूँ इसमें तुम्हारी कोई ग़लती नहीं है, पर मैंने भी प्यार करके कोई गुनाह नहीं किया था, जिसकी इतनी बड़ी सज़ा मुझे मिले। आगे तुम समझदार हो। उम्मीदें चोट पहुंचाती है, मैंने सीखा है, तुम्हें बता रहा हूं। अपने बारे में कहूँ तो मैं नाक़ाम हूँ, ये रिश्ता निभाने के लिए। बाकी तुम्हारी मर्ज़ी। कोशिश करूँगा तुम्हारे सम्मान को ठेंस ना पहुँचे।"

महेंद्र के समझाने के बावजूद ग़ौरी ने इस रिश्ते से, उससे, उम्मीदें लगाई थीं। ठोकर तो मिलनी ही थी। ये चोट तो लगनी ही थी।

#
"खाना अच्छा बना है।" पूरा खाना खाने के बाद महेंद्र जब डाइनिंग टेबल पर से उठने चला तो रोज़ की तरह आज भी उसने वही औपचारिकता निभाई, जो शादी के दूसरे दिन से निभाता चला आ रहा था। उस दिन ग़ौरी को लगा था कि वो सच में उसके खाने की तारीफ कर रहा है। वह काफी खुश हो गई थी। लेकिन जब वह हर रोज़ एक ही वाक्य दोहराने लगा, तब उसे समझ में आया कि वो तारीफ नहीं थी, सिर्फ़ औपचारिकता थी। जो उसको रिश्ते में सम्मान देने के लिए निभाई जा रही थी। अफ़सोस, इस सम्मान में उसे सिर्फ़ अपना अपमान नज़र आता था। क्योंकि उसे ये सम्मान सिर्फ़ सहानुभूति के चलते मिल रहा था, प्यार से नहीं।

"प्यार तो सारा दीदी अपने साथ ले गईं..." वह अपने आपमें ही बुदबुदाई और अपनी खाने की प्लेट लेकर किचन में चली गई। किचन में आते ही उसकी निगाह महेंद्र पर पड़ी।

"वो आराध्या के लिए दूध बना रहा था ," एक और औपचारिकता निभा रहा था। घर के कामों में उसका हाथ बंटाकर, अच्छे पति होने का फ़र्ज़ अदा कर रहा था। वह कुछ नहीं बोली, बस सिंक में जमा बर्तनों को धुलने लगी।

"तुम क्यों बर्तन धुल रही हो? शांता सुबह आएगी तो वो धुल देगी।" उसने बोतल में दूध डालते हुए पूछा तो ग़ौरी उसे देखे बिना ही बोली, "रात को सिंक में झूठे बर्तन नहीं पड़े होने चाहिए।"

ग़ौरी ने गिने चुने शब्दों में जवाब दिया और चुपचाप बर्तन धुलती रही। कुछ पल महेंद्र यूँ ही उसे टकटकी लगाए देखता रहा, फिर चुपचाप दूध की बोतल उठाई और कमरे में चला आया। अपनी बच्ची को सोता देख, वह मुस्कुराया। दूध की बोतल को नाईट स्टैंड पर रखकर, उसने बच्ची के बगल रखी तकिया को ठीक किया और फिर कमरे की बालकनी में चला आया।

उसका अपार्टमेंट बिल्डिंग के दसवें माले पर था। कमरे से लगी बालकनी बाहर खुलती थी। रोड पर भागती गाड़ियां चींटियों सी रेंगती नज़र आती थी। वह बालकनी की रेलिंग पर खड़ा इन्हीं चींटियों को देख रहा था। नज़र सड़क पर थी, और दिमाग में कुछ और चल रहा था।

#
"महेंद्र! बेटा इधर आना ज़रा।" वह मण्डप में बैठा अपनी दुल्हन का इंतज़ार कर रहा था, जब उसके पापा ने उसे एक किनारे बुलाया था। अनहोनी की आशंका में उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। लेकिन जब पापा ने उमा के भाग जाने की ख़बर दी तो उसका दिल दिमाग सब ठप हो गया। उसकी तो साँसें ठहर गईं थीं। पापा को अपने इज़्ज़त की पड़ी थी, जबकि उसकी आँखों के सामने उमा का चेहरा नज़र आ रहा था, और कानों में उमा के हज़ारों वादे सुनाई दे रहे थे, जो कॉलेज की तीन सालों में उसने उससे किये थे। कोई इतना झूठा और फ़रेबी कैसे हो सकता है?

ये सवाल तो आज भी उसके ज़हन में शूल की तरह चुभता था। लेकिन जवाब नहीं मिला; ना उस दिन, और ना आज। हां, ये जरूर हुआ कि इज़्ज़त बचाने के नाम पर उसी फ़रेबी लड़की की छोटी बहन को, उसके बगल में दुल्हन बनाकर बैठा दिया गया जो उससे उम्र में सात साल छोटी थी। ये शादी तो उसके लिए भी जबरदस्ती ही थी। आख़िर उसके सिर पर भी इज़्ज़त का ठीकरा लादा गया था।

"सुनिये..." पीछे से आई आवाज़ ने महेंद्र की विचार श्रृंखला तोड़ दी। वह पलटा तो गौरी खड़ी थी। उसके सिर पर दुपट्टा और हाथों में फ़ोन था, जिसे देख महेंद्र समझ गया कि रोज़ की तरह आज भी उसके घर से वीडियो कॉल आया है। उसने तुरंत मुस्कुराते हुए फ़ोन हाथ मे ले लिया।

"हाँ माँ, कैसे हो आप सब?" फ़ोन लेते ही वह बोला और कमरे की तरफ़ बढ़ चला। ग़ौरी भी उसके पीछे पीछे चली आई।

"बढ़िया बेटा, तुम सुनाओ। तुम सब कैसे हो? तू मेरी बहू और पोती का ख़्याल तो रखता है ना?"

दाँतों के बीच दुपट्टे का कोर दबाकर ग़ौरी मुस्कुराई। उसकी सास अच्छी थीं। बिल्कुल मां जैसी। उसे उनसे बात करना पसंद था। इसीलिए वह भी वहीं खड़ी थी।
Next Part


List of all Hindi Stories    22    23    24    25    26    27    28    ( 29 )    


## Disclaimer: RiyaButu.com is not responsible for any wrong facts presented in the Stories / Poems / Essay or Articles by the Writers. The opinion, facts, issues etc are fully personal to the respective Writers. RiyaButu.com is not responsibe for that. We are strongly against copyright violation. Also we do not support any kind of superstition / child marriage / violence / animal torture or any kind of addiction like smoking, alcohol etc. ##

■ Hindi Story writing competition Dec, 2022 Details..

■ Riyabutu.com is a platform for writers. घर बैठे ही आप हमारे पास अपने लेख भेज सकते हैं ... Details..

■ कोई भी लेखक / लेखिका हमें बिना किसी झिझक के कहानी भेज सकते हैं। इसके अलावा आगर आपके पास RiyaButu.com के बारे में कोई सवाल, राय या कोई सुझाव है तो बेझिझक बता सकते हैं। संपर्क करें:
E-mail: riyabutu.com@gmail.com / riyabutu5@gmail.com
Phone No: +91 8974870845
Whatsapp No: +91 6009890717